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गौशाला

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गौशाला

गुरुकुल परिसर में गौ सेवा प्रकल्प के रूप में "रुक्मिणी वल्लभ धाम गौशाला" विगत्तेरह वर्षों से गौपालन, संरक्षण वसंवर्धन के कार्य निरन्तर किया जा रहा है | वर्तमान में विभिन्न नस्लों की एक हजार से भी अधिक गौ उपलब्ध हैं जिन में मुख्यत: शाहीवाल नस्ल की हैं। उल्लेखनीय है कि गौशाला में किसी प्रकार का व्यावसायिक उत्पादन, धनार्जन नहीं किया जाता है। वैदिक परंपराओं में, गाय को दिव्य माता, गो माता या गौ माता के रूप में देखा जाता था, जो स्वास्थ्य, ज्ञान और समृद्धि के आशीर्वाद से मानव – जीवन को पोषित करती हैं। ‘गावोविश्वस्यमातरः’ अर्थात्गायविश्व की माता है।

हम मानते हैं कि दुनिया की समस्याओं का समाधान बाह्य (भौतिक) और आंतरिक (आध्यात्मिक) दोनों है। हमें ‘गौमाता’। उनके आशीर्वाद के साथ, “रुक्मिणीवल्ल्भधामगौशाला” भारत की प्राचीन वैदिक ‘गोसंस्कृति’ को पुन र्जीवित करने के लिए एक जीवित प्रयोगशाला के रूप में काम कर रही है, और आधुनिक जीवन के सभी पहलुओं में वैदिक प्रतिमानों का परीक्षण करती है, चाहे वह पोषण, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषिया व्यवसाय ही क्यों नहो।

गौशाला के उद्देश्य :

  • आदर्श गोपालन करना
  • भारतीय गौवंशो के संरक्षण एवं संवर्धन करना
  • भारतीय गौवंशो की नस्ल सुधार पर कार्य करना
  • गौवंशो की नस्ल के आधार पर अलग अलग रख रखाव की व्यवस्था एवं संरक्षण / संवर्धन करना
  • पंचगव्य आधारित अवयवों एवं गौमूत्र आदि के संयोजन का उपयोग करके आयुर्वैदिक दवाओं कीएक विस्तृत शृंखला विकसितकरना
  • निशुल्क आयुर्वैदिक परामर्श - आम जनता के लिए गौशाला में एक मुफ्त आयुर्वैदिक निदान और उपचार केंद्र की स्थापना करना
  • गौ गोबर एवं गौमूत्र से बने उत्पाद के माध्यम से जैविक खेती को प्रोत्साहन देना
  • क्षेत्र में बेरोजगार लोगो को गौपालन के माध्यम से रोजगार के अवसर प्रदान करना

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